Aalhadini

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Murder or trap

दीप हैरान परेशान सा दौड़ता हुआ पुलिस स्टेशन में पंहुचा। उसकी साँस फूली हुई थी और वो बुरी तरह से हांफ रहा था। ऐसा लग रहा था जैसे कि एक लंबी दौड़ कर के आ रहा था। पुलिस स्टेशन में उस वक्त केवल एक हेड कांस्टेबल और कुछ कांस्टेबल ही मौजूद थे। सब इंस्पेक्टर और इंस्पेक्टर दोनों ही किसी मर्डर केस की इनवेस्टिगेशन के लिए चौकी से बाहर गए थे। दीप ने अंदर पहुंच कर इधर-उधर देखा तो बस वो कुछ ही लोग दिखाई दिए। 

"अरे… अरे..!! ऐसे कहां घुसे चले आ रहे हो। ये पुलिस स्टेशन है.. तुम्हारी खाला का घर नहीं.. जो ऐसे ही धड़धड़ाते हुए कही भी घुसे चले जाओगे।" एक कांस्टेबल ने कहा।


दीप की आंखे विस्मय से चौड़ी हो गई। उसने अपनी सांसो की गति को कम करने की कोशिश में धीरे-धीरे लंबी सांसे लेना शरू किया। 


कांस्टेबल ने गुस्से में उसे घूरा और दुबारा सवाल करने के लिए मुँह खोला ही था कि दीप ने हाथ के इशारे से उसे रुकने के लिए कहा। दीप अपने हाथ घुटनों पर रखकर झुक गया और अपने आपको संयत करने की कोशिश करने लगा। 



कांस्टेबल अभी भी उसे घूर ही रहा था.. कि तभी एक दूसरा कांस्टेबल बाहर से चाय लेकर अंदर आया। दूसरा कांस्टेबल अपनी ही मस्ती में गुनगुनाता हुआ चला आ रहा था। उसकी नजर एकदम से दीप पर पड़ी और वो ठिठक कर वही शांति से खड़ा हो गया। ऐसा लग रहा था जैसे उसे साँप ही सूँघ गया था।


वो जल्दबाजी में उसी कांस्टेबल के पास पहुंचा जो अभी भी दीप के सामने खड़ा उसे घूर रहा था। और उसे खींचता हुआ एक तरफ होने में ले गया और पूछने लगा, "क्या हो रहा था यहां..??  तुम्हें पता भी है यह आदमी कौन है..??"


पहले कांस्टेबल के चेहरे पर नासमझी के भाव थे।   उसने कंफ्यूज होते हुए पूछा, "क्या मतलब है कौन है?  तुम जानते हो उसे कौन है वो?"


 बाहर से आने वाले कांस्टेबल ने कहा,  "तुम नहीं जानते यह दीप है.. दीप राज..!! होटल इंडस्ट्री किंग दीप राज..!! आया कुछ याद गोबर के घासीराम। इसको नाराज करने पर कितना बड़ा नुकसान हो सकता है सोचा भी है। मंत्री से लेकर कमिश्नर तक के साथ उठना बैठना है इसका। खुद के गले में घंटी बाँध ली तूने।" 


पहला कांस्टेबल हैरानी से दूसरे कांस्टेबल की तरफ देख रहा था जैसे अभी भी कुछ समझ में नहीं आया हो। वो बोला, "ठीक है.. मान लिया ये वही दीप है.. तो ये खुद यहाँ क्यूँ आया है..?? कमिश्नर को अपने घर पर ही बुला लेता।" उसकी आवाज़ में हल्की सी झुंझलाहट का पुट था।


बाहर से आने वाले कांस्टेबल ने अपने सिर पर हाथ मारकर कहा, "तुझे पुलिस में किसने भर्ती किया रे। वो तो पूछेगा.. तभी पता चलेगा ना.. अब चल। और हाँ..!! ज्यादा चूं-चपड़ मत करना कहीं कमिश्नर साहब को पता चल गया कि दीप के साथ तूने कैसा व्यवहार किया है तो तुझे लाइन हाजिर करवा देंगे। अब चल..!!"


दीप दूर खड़ा उनके एक्सप्रेशन ध्यान से देख रहा था। उसके चेहरे पर हल्की सी खीझ थी और बॉडी लैंग्वेज से थोड़ा सा बेचैन सा लग रहा था। कोई बात थी जो उसे परेशान कर रही थी।


दोनों कांस्टेबल जल्दी से दीप के पास आए और अपने आपको बहुत ही ज्यादा विनम्र बनाते हुए उन्होंने अपनी बोली में चाशनी घोलते हुए कहा,  "सो सॉरी सर..!! मैं आपको पहचान नहीं पाया था उसके लिए मैं शर्मिंदा हूं। आप आइए.. और बैठिए।" एक कुर्सी की तरफ इशारा किया।


दीप आगे बढ़कर उस कुर्सी पर बैठ गया तब बाहर से आने वाले कांस्टेबल ने कहा, "सर..!! क्या लेंगे आप.. चाय, कॉफी या कुछ ठंडा।"


"कुछ भी नहीं..!! आप लोग बस मेरी कंप्लेंट लिख लो और जल्द से जल्द मेरी परेशानी दूर कर दो।" दीप ने खीजते हुए कहा।


दोनों कांस्टेबल सकते में आ गए.. 


"आपको क्या परेशानी हो सकती हैं।" जल्दबाज़ी में पहले कांस्टेबल ने कहा।


"क्यूँ मैं इंसान नहीं हूं क्या..?? या परेशानी इंसान देखकर आती है…??" इस बार दीप की आवाज में व्यंग था।


"आप लोग बस मेरी कंप्लेंट लिख लो.. मुझ पर मेहरबानी होगी।" दीप ने गुस्से से तंज कसते हुए कहा।


"सॉरी सर..!! बताइए क्या प्रॉब्लम है। विजय FIR रजिस्टर लेकर आओ.. साहब की कंप्लेंट लिखनी है।" बाहर से आने वाले कांस्टेबल ने दूसरे कांस्टेबल से कहा।


विजय ने FIR रजिस्टर लाकर दिया और खुद एक तरफ खड़ा हो गया।


"बताइए..!! क्या तकलीफ है..??" कांस्टेबल ने रजिस्टर खोलते हुए पूछा।


"मेरी वाइफ अपने प्रेमी के साथ घर से क़ीमती समान लेकर भाग गई।"  दीप के बोलते ही दोनों कांस्टेबल चौंक गए।


"क्या..??"



Continued.....

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14 Comments

Chetna swrnkar

19-Jul-2022 03:34 PM

बेहतरीन रचना 👌

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Aalhadini

20-Jul-2022 12:31 AM

शुक्रिया 🙏

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Shrishti pandey

23-Apr-2022 09:45 PM

Very nice

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Aalhadini

25-Apr-2022 12:06 AM

Thanks ma'am 🙏

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Sachin dev

23-Apr-2022 09:11 PM

🤗🤗

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Aalhadini

25-Apr-2022 12:06 AM

🙏🙏

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